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जिनके साथ करते थे गश्त, बांटते थे हर दुख-दर्द, उन्हें बेजान देखा तो फफक पड़े, पढ़िए सुकमा नक्सली मुठभेड़ की इनसाइड स्टोरी

Sukma Naxal Attack: सुकमा के जगरगुंडा से जब सुबह जवानों का दल गश्त पर निकला तो उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि जिन साथियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं उन्हीं शव को कांधे में लादकर लाना होगा।

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शहीद जवानों को दी गई श्रद्धांजलि

शहीद जवानों को दी गई श्रद्धांजलि

Sukma Naxal Attack: सुकमा के जगरगुंडा से जब सुबह जवानों का दल गश्त पर निकला तो उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि जिन साथियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं उन्हीं शव को कांधे में लादकर लाना होगा। इसलिए घटना के बाद सभी साथी वापस कैंप पहुंचे और यहां अपने साथियों को खाट पर बेजान अवस्था में देखा तो वे फूट फूटकर रोने लगे।

एक जवान अपने सबसे करीबी साथी रामुराम नाग के पार्थिव शरीर से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा। इस दौरान यहां जितने भी लोग थे इस नजारे को देखकर उनकी आखों से आंसू झरने लगे। आलम यह था कि किसी ने भी किसी को रोकने की कोशिश नहीं की सभी की आँखों से आंसुओं की धार बह रही थी।

पहली बार डीआरजी को नुकसान
जब से डीआरजी की टीम बनाई गई है पहली बार ऐसा हुआ है कि इस टीम को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज पी ने दावा किया है कि जवानों ने 7 से 8 नक्सलियों को भी मार गिराया है। हालांकि वे शव को लेकर भागने में कामयाब हो गए।

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शहीदों को जगरगुंडा में दी गई सलामी
तीनो शहीद जवान आसपास के इलाके के निवासी थे एएसआई रामूराम नाग व सैनिक कुंजाम भीमा जगरगुंडा तथा सहायक आरक्षक वंजाम भीमा चिंतलनार के मरकागुडा के निवासी थे इसलिए जवानों के शव घटनास्थल से जगरगुंडा लाए गए।यही पोस्टमार्टम के बाद जवानों को सलामी दी गई। आईजी सुंदरराज पी, एसपी सुनील शर्मा कलेक्टर एस हरीश तीनो हेलीकाप्टर से जगरगुंडा पहुंचे जहां इन अफसरों एवं स्थानीय लोगो ने शहीद जवानों को सलामी दी, इसके पश्चात राजकीय सम्मान से शहीदों के शव उनके परिजनों को सौंपे गए।

विस्फोट के बाद शुरूआती फायरिंग में ही तीनों को लग गई थी गोली
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि शनिवार को सुबह जवानों की गश्ती करने की जानकारी नक्सलियो को लग गयी थी, जिसके बाद नक्सलियों ने सबसे पहले बम विस्फोट किया। उसके बाद जवानों पर फायरिंग की, हालांकि जवानों ने भी तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई की। दोनों ओर से लगभग एक से डेढ़ घंटे तक मुठभेड़ चली।

लेकिन ब्लास्ट के बाद नक्सलियो के पहली फायरिंग में ही एएसआई रामुराम नाग, सहायक आरक्षक वंजम भीमा और आरक्षक कुंजाम जोगा को गोली लगी। जिसके बाद साथी जवानों ने जैसे तैसे घटनास्थल से घायल जवानो को जगरगुंडा कैम्प पहुचाया। लेकिन तब तक तीनो जवानों की शहादत हो गयी।